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बुधवार, 16 अक्तूबर 2013

बकरीद

              घोटू के छंद
                  बकरीद

सुबह सुबह पत्नी ने ,प्यार से जगाया हमें ,
                        गालों पे दी पप्पी और मुस्कान प्यारी थी
बेड टी के बाद हमें ,मिले सुबह नाश्ते में,
                         जलेबी थी गरम गरम ,चीजें ढेर सारी थी
खाने में खीर मिली ,खुश थी वो खिली खिली ,
                          बोली शाम बाहर चलें ,सेल लगी भारी थी
हमारी  समझ आया ,इतना खिलापिलाया,
                          बकरा हलाल करने की पूरी तैयारी  थी

घोटू        

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