जवानी सलामत- बुढ़ापा कोसों दूर है
हम तो है ,कोल्ड स्टोरेज में रखे आलू ,
जब भी जरुरत पड़े,लो काम में,हम ताज़े है
ज़रा सी फूंक जो मारोगे ,लगेगे बजने ,
हम तो है बांसुरी ,या बिगुल,बेन्ड बाजे है
पुरानी चीज को रखते संभाल कर हम है ,
चीज 'एंटिक 'जितनी,उतना दाम बढ़ता है
बीबियाँ वैसे कभी पुरानी नहीं पड़ती ,
ज्यों ज्यों बढ़ती है उमर ,वैसे प्यार बढ़ता है
वैसे भी दिल हमारा एक रेफ्रिजेटर है ,
उसमे जो चीज रखी ,सदा फ्रेश रहती है
हमारी बीबी सदा दिल में हमारे रहती ,
प्यार में ताजगी जो हो तो ऐश रहती है
समय के साथ,जब बढ़ती है उमर तो अक्सर,
लोग जाने क्यों ,खुद को बूढा समझने लगते
आदमी सोचता है जैसा,वैसा हो जाता ,
सोच कर बूढा खुद को बूढ़े वो लगने लगते
सोच में अपने न आने दो उमर का साया,
जब तलक ज़िंदा हो तुम और जिंदगानी है
जब तलक है जवान मन और सोच तुम्हारा,
समझ लो ,तब तलक ही ,सलामत जवानी है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
हम तो है ,कोल्ड स्टोरेज में रखे आलू ,
जब भी जरुरत पड़े,लो काम में,हम ताज़े है
ज़रा सी फूंक जो मारोगे ,लगेगे बजने ,
हम तो है बांसुरी ,या बिगुल,बेन्ड बाजे है
पुरानी चीज को रखते संभाल कर हम है ,
चीज 'एंटिक 'जितनी,उतना दाम बढ़ता है
बीबियाँ वैसे कभी पुरानी नहीं पड़ती ,
ज्यों ज्यों बढ़ती है उमर ,वैसे प्यार बढ़ता है
वैसे भी दिल हमारा एक रेफ्रिजेटर है ,
उसमे जो चीज रखी ,सदा फ्रेश रहती है
हमारी बीबी सदा दिल में हमारे रहती ,
प्यार में ताजगी जो हो तो ऐश रहती है
समय के साथ,जब बढ़ती है उमर तो अक्सर,
लोग जाने क्यों ,खुद को बूढा समझने लगते
आदमी सोचता है जैसा,वैसा हो जाता ,
सोच कर बूढा खुद को बूढ़े वो लगने लगते
सोच में अपने न आने दो उमर का साया,
जब तलक ज़िंदा हो तुम और जिंदगानी है
जब तलक है जवान मन और सोच तुम्हारा,
समझ लो ,तब तलक ही ,सलामत जवानी है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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