एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

सोमवार, 26 अगस्त 2013

जवानी सलामत- बुढ़ापा कोसों दूर है

जवानी सलामत- बुढ़ापा कोसों दूर है

हम तो है ,कोल्ड स्टोरेज में रखे आलू ,
जब भी जरुरत पड़े,लो काम में,हम ताज़े है
ज़रा सी फूंक जो मारोगे ,लगेगे बजने ,
हम तो है बांसुरी ,या बिगुल,बेन्ड बाजे है
पुरानी चीज को रखते संभाल कर हम है ,
चीज 'एंटिक 'जितनी,उतना दाम बढ़ता है
बीबियाँ वैसे कभी पुरानी नहीं पड़ती ,
ज्यों ज्यों बढ़ती है उमर ,वैसे  प्यार बढ़ता है
वैसे भी दिल हमारा एक रेफ्रिजेटर  है ,
उसमे जो चीज रखी ,सदा फ्रेश  रहती है
हमारी बीबी सदा दिल में हमारे रहती ,
प्यार में ताजगी जो हो तो ऐश रहती  है
समय के साथ,जब बढ़ती है  उमर तो अक्सर,
लोग जाने क्यों ,खुद को बूढा समझने लगते
आदमी सोचता है जैसा,वैसा हो जाता ,
सोच कर बूढा खुद को बूढ़े  वो लगने लगते
सोच में अपने न आने दो उमर का साया,
जब तलक ज़िंदा हो तुम और जिंदगानी है
जब तलक है जवान मन और सोच तुम्हारा,
समझ लो ,तब तलक ही ,सलामत जवानी है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-