वक़्त हम कैसे काटे
पढो अखबार का हर पेज ,तुम नज़रें गढा कर के ,
पज़ल और वर्ग पहेली को ,भरो,आनंद आयेगा
ले रिमोट टी वी का ,बदलते तुम रहो चेनल ,
कोई न कोई तो प्रोग्राम,पसंद का मिल ही जाएगा
कभी चाय,कभी काफी ,कभी लस्सी या ठंडाई ,
पकोड़े साथ में हो तो ,मज़ा फिर दूना आयेगा
भले बैठे निठल्ले हो ,चलाते पर रहो मुंह को ,
वक़्त आराम से आराम करते ,कट ही जाएगा
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
पढो अखबार का हर पेज ,तुम नज़रें गढा कर के ,
पज़ल और वर्ग पहेली को ,भरो,आनंद आयेगा
ले रिमोट टी वी का ,बदलते तुम रहो चेनल ,
कोई न कोई तो प्रोग्राम,पसंद का मिल ही जाएगा
कभी चाय,कभी काफी ,कभी लस्सी या ठंडाई ,
पकोड़े साथ में हो तो ,मज़ा फिर दूना आयेगा
भले बैठे निठल्ले हो ,चलाते पर रहो मुंह को ,
वक़्त आराम से आराम करते ,कट ही जाएगा
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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