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मंगलवार, 20 अगस्त 2013

किसी का फोन आ जाये

            किसी का फोन आ जाये

मचलती कामनाये हो ,किसी का फोन आ जाए
उबलती भावनाएं हो,  किसी का फोन आ जाए
उफन के दूध बर्तन से ,निकल कर गिरनेवाला हो,
बहुत हम हडबडाये हो,किसी का फोन आ जाए
कभी जब सोने को होते ,आँख लगने ही वाली हो ,
और घंटी घनघना जाए,किसी का फोन आ जाए
खबर अच्छी, बुरी हो या कि वो फिर रांग नंबर  हो,
बहुत गुस्सा हमें  आये ,किसी का फोन आ जाए
कलम ले हाथ में हमने ,लिखा हो मुखड़ा कविता का,
बोल बन भी न पाए हो, किसी का  फोन आ जाए
आज की जिंदगानी में ,फोन है इस कदर छाया ,
कोई आये न आये पर ,किसी का फोन आ जाए

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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