क्या होता शमा ये क्या बताऊँ यारों,
भगवान न होते और ये बंदगी न होती;
दोस्तों के बिना शायद कुछ भी न होता,
ये सांसें भी न होती, ये जिंदगी न होती |
खुशियाँ न होती और मुस्कान भी न होते,
जिस्म तो होता पर उसमे जान भी न होती;
रहता अधूरा शायद हर जश्न-ए-जिंदगी,
दोस्तों के बना अपनी शान भी न होती |
नर्क सा होता उस स्वर्ग का भी मंजर,
महफिल भी शायद वीरान सी ही होती;
दोस्ती है मिश्रण हर रिश्ते का "दीप",
जिंदगी बिन तरकश के बाण सी ही होती |
(सभी मित्रों को समर्पित यह रचना)
वाह भाई वाह |
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ||
दोस्त एक बहुत बड़ा भरोसा !
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना !
मित्रता दिवस की शुभकामनाएँ !
दोस्ती पर्व पर दोस्तों को समर्पित खूबसूरत पोस्ट .मुबारक दोस्तों ये पर्व ..
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार ७/८/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है |
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत रचना | बधाई
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