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रविवार, 5 अगस्त 2012

बिन दोस्ती


क्या होता शमा ये क्या बताऊँ यारों,
भगवान न होते और ये बंदगी न होती;
दोस्तों के बिना शायद कुछ भी न होता,
ये सांसें भी न होती, ये जिंदगी न होती |

खुशियाँ न होती और मुस्कान भी न होते,
जिस्म तो होता पर उसमे जान भी  न होती;
रहता अधूरा शायद हर जश्न-ए-जिंदगी,
दोस्तों के बना अपनी शान भी न होती |

नर्क सा होता उस स्वर्ग का भी मंजर,
महफिल भी शायद वीरान सी ही होती;
दोस्ती है मिश्रण हर रिश्ते का "दीप",
जिंदगी बिन तरकश के बाण सी ही होती |

(सभी मित्रों को समर्पित यह रचना)

गुरुवार, 1 सितंबर 2011

अतीत का दस्तावेज

अलमारी के
कोने में पडा
वक़्त की मार से
पीला पड़ गया ख़त
रद्दी का टुकडा नहीं 
अतीत का दस्तावेज है 
मेरे दोस्त की
दोस्ती का सबूत है 
उसकी भावनाओं का
प्रतीक है 
मेरे लिए खुशनुमा
माहौल में
लौटने का रास्ता है
उस ख़त को पढ़ना
जाने वाले को
श्रदांजली देने का
खूबसूरत ढंग  है
निरंतर
मन मष्तिष्क में
मंद पड़ गए
संबंधों की गर्माहट
महसूस करने की
अद्भुत विधि  है
अतीत को वर्तमान में
देखने का सुन्दर
तरीका है
01-09-2011
1426-01-09-11

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