नाम और काम
सजना कभी नहीं कहते है तुमसे सज ना
दर्पण कभी नहीं कहता है दर्प न करना
नदिया ऐसी कोई नहीं जिसने न दिया हो
पिया न जिसने कभी अधर रस नहीं पिया हो
सूरज में रज नहीं मगर सूरज कहलाता
और समंदर ,जिसके अन्दर सभी समातावन देते है जीवन,वायु आयु प्रदायक
और जल,जलता नहीं,सदा शीतलता दायक
सभी तरफ दिखता समान वो आसमान है
प्रकृति की हर एक कृति,अद्भुत ,महान है
धरा, सभी कुछ इसी धरा में,ये माँ धरती
इशवर के ही वर से हम तुम है और जगती
जग मग ,जग को करते,सूरज चंदा तारे
सार युक्त संसार,अनोखे सभी नज़ारे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
सजना कभी नहीं कहते है तुमसे सज ना
दर्पण कभी नहीं कहता है दर्प न करना
नदिया ऐसी कोई नहीं जिसने न दिया हो
पिया न जिसने कभी अधर रस नहीं पिया हो
सूरज में रज नहीं मगर सूरज कहलाता
और समंदर ,जिसके अन्दर सभी समातावन देते है जीवन,वायु आयु प्रदायक
और जल,जलता नहीं,सदा शीतलता दायक
सभी तरफ दिखता समान वो आसमान है
प्रकृति की हर एक कृति,अद्भुत ,महान है
धरा, सभी कुछ इसी धरा में,ये माँ धरती
इशवर के ही वर से हम तुम है और जगती
जग मग ,जग को करते,सूरज चंदा तारे
सार युक्त संसार,अनोखे सभी नज़ारे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
अच्छी प्रस्तुति शब्दों में अक्षरों में डुबकी लगवा दी . ,शुक्रिया कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंram ram bhai
मंगलवार, 7 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से
सही में शब्द शब्द सार्थक हो गए ..
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