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शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

देशी और विदेशी लोगों में अंतर

   देशी और विदेशी लोगों में अंतर

उनने पूछा विदेशों में घूमते रहते हो तुम,
              विदेशी लोगों में ,हममे,फर्क क्या  बतलाईये
हमने बोला वो भी इन्सां,हम भी इन्सां,रहने को,
              उनको भी घर चाहिए और हमको भी घर चाहिये
दोनो को ही अपना तन ढकने को कपडे चाहिये,
              और सोने के लिये ,तकिया और बिस्तर  चाहिये
गोरे है वो ,काला करते ,धूप में बैठे बदन ,
             और हमको गोरा होने क्रीम पावडर  चाहिये
पेट भरने,उनको ,हमको,सबको खाना चाहिये,
              मगर उनको साथ में ,वाईन या बीयर चाहिये
एक के संग घर बसा कर उम्र भर रहते है हम,
              और बदलते पार्टनर ,उनको अधिकतर चाहिये
हमको पढने और  उनको पोंछने के वास्ते,
               सवेरे ही सवेरे  ,दोनों को पेपर    चाहिये           

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

1 टिप्पणी:

  1. रचना में कुछ बिम्ब बड़े सार्थक हैं ,पेपर का श्लेष अच्छा लगा .धूप में बैठने से रंग ताम्बई होता है गोरों का ,करते हैं वो टेनिंग ,.यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    बृहस्पतिवार, 30 अगस्त 2012
    लम्पटता के मानी क्या हैं ?

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