लगते सिंदूरवा बेटी काहे भईल पराई
कइ देहलन कन्यादान बाबू
भईया लौआ देइलस मिलाई
लगते सिंदूरवा बेटी काहे भईल पराई |
नौ महीनवा रहनी तोरा खोखिया में माई
बधनी रखीवा हम भइया तोरा कलाई
इस सभे बतीया कैसे हम भूलाई
लगते सिंदूरवा बेटी काहे भईल पराई |
सास ससुर देवर ननद के करी सेवकाई
पति के हम देवता बूझी ओकरो करी सेवकाई
भले देई डाल किरासन उ हमके जराई
बैईठत डोली इहे बतउलस हमार माई
लगते सिंदूरवा बेटी काहे भईल पराई |
इंदिरा गाधी,किरण बेदी,कल्पना चावला
केतना नाम हम बताई इहो सब त बेटीये रहली
देहली कुल के नाम चमकाई
लगते सिंदूरवा बेटी काहे भईल पराई |
बेटी ना करी अब खाली चौका बरतन
ना रही अब बन के खाली दाई
तोरा बेटवन से भी आगे
जा के नाम आगे नाम कमाई
लगते सिंदूरवा बेटी काहे भईल पराई |
नइखे अब अब कौनो अन्तर
नहीरा ससुरा में ए माई
कुल के दीपक बेटवे ना
बेटीओ अब कहाई |
बेटवे ना जरीई हे अब कुल के दीपक
अखंड बेटीयो अब जराई
लगते सिंदूरवा ये माई
बेटी ना होई पराई |
सास ससुर मरदा के संगें
नमवा तोरे आई ये माई
चढते डोलीया ये अखंड भईया
बेटीया ना होई पराई |
सुंदर और समसामयिक रचना |
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