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शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

एक से भले दो

पता नहीं किसने कहा था
एक से भले दो
अब बेचारे भले बन गए
दो हो गए,
पगड़ी बाँध के ढूंड रहे
इस मुहावरा कहनेवाले को
कोई अगर कह देता
एक से भले दो
तो ऊपर से निचे तक
पूरा बारूद हो जाते है
जब मेरे सामने आते
मै कह देता एक भला
तो एक दम पूँछ पर खड़े
खार खा जाते मेरी किस्मत से
अब न एक भला कह पाता हु
न दो भला कह पाता हु
भला हो मुहावरे वालो का ............अमित

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