परिवर्तन
शिखर ,
जो कभी ज्वालामुखी बनकर
वासना की आग को धधकाते है
समय के साथ ,
वो ही दिनरात
वातसल्य की गंगा यमुना बहाते है
जब भी आता है नवजीवन
लाता है कितने परिवर्तन
घोटू
शिखर ,
जो कभी ज्वालामुखी बनकर
वासना की आग को धधकाते है
समय के साथ ,
वो ही दिनरात
वातसल्य की गंगा यमुना बहाते है
जब भी आता है नवजीवन
लाता है कितने परिवर्तन
घोटू
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