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गुरुवार, 12 सितंबर 2013

सत्संगी दोहे

    सत्संगी दोहे
           १ 
स्वर्णपात्र में उबाला ,आओ पीयो दुग्ध
फिर हमतुम सत्संग करें,तनमन दोनों शुद्ध
               २
खाकर गोंद पलाश का,आता ऐसा  जोश
लगे दहाड़े मारने ,शेर बने  खरगोश
                ३
लाज शरम सब छोड़ दो ,अब इसका क्या काम
तुम कोमल खिलती कली ,मै हूँ  आसाराम

घोटू 

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