सत्संगी दोहे
१
स्वर्णपात्र में उबाला ,आओ पीयो दुग्ध
फिर हमतुम सत्संग करें,तनमन दोनों शुद्ध
२
खाकर गोंद पलाश का,आता ऐसा जोश
लगे दहाड़े मारने ,शेर बने खरगोश
३
लाज शरम सब छोड़ दो ,अब इसका क्या काम
तुम कोमल खिलती कली ,मै हूँ आसाराम
घोटू
१
स्वर्णपात्र में उबाला ,आओ पीयो दुग्ध
फिर हमतुम सत्संग करें,तनमन दोनों शुद्ध
२
खाकर गोंद पलाश का,आता ऐसा जोश
लगे दहाड़े मारने ,शेर बने खरगोश
३
लाज शरम सब छोड़ दो ,अब इसका क्या काम
तुम कोमल खिलती कली ,मै हूँ आसाराम
घोटू
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