जीवन लता
लताएँ और बेलें
नहीं बढ़ती है अकेले
जब थोड़ी पनपती है
कुछ आगे बढ़ती है
उन्हें आगे बढ़ने को
और ऊपर चढ़ने को
होती है जरूरत ,किसी सहारे की
जिससे लिपट कर के ,वो आगे बढ़ जाए
जीवन की लताओं को
आगे बढाने को
ऊंचा उठाने को
सुख दुःख बाटने को
जीवन काटने को
होती है जरूरत ,किसी प्यारे की,
जिसके संग खुशी खुशी ,ये जीवन कट जाए
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
लताएँ और बेलें
नहीं बढ़ती है अकेले
जब थोड़ी पनपती है
कुछ आगे बढ़ती है
उन्हें आगे बढ़ने को
और ऊपर चढ़ने को
होती है जरूरत ,किसी सहारे की
जिससे लिपट कर के ,वो आगे बढ़ जाए
जीवन की लताओं को
आगे बढाने को
ऊंचा उठाने को
सुख दुःख बाटने को
जीवन काटने को
होती है जरूरत ,किसी प्यारे की,
जिसके संग खुशी खुशी ,ये जीवन कट जाए
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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