रात से सुबह तक -चार छोटी कवितायें
१
झपकी
दिन भर के काम की थकावट
पिया से मिलन की छटपटाहट
जागने का मन करे ,नींद आये लपकी
झपकी
२
खर्राटे
अधूरी कामनाये ,दबी हुई बांते
जिन्हें दिन में हम ,बोल नहीं पाते
रात को सोने पर ,निकलती है बाहर
बन कर खर्राटे
३
उबासी
चूम चूम बार बार ,बंद किया मुंह द्वार
निकल ही नहीं पायी ,हवाएं बासी
उठते जब सोकर ,बेचैन होकर ,
निकलती बाहर है ,बन कर उबासी
४
अंगडाई
प्रीतम ने तन मन में ,आग सी लगाई
रात भर रही लिपटी ,बाहों में समायी
प्रेम रस लूटा ,अंग अंग टूटा ,
उठी जब सवेरे तो आयी अंगडाई
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
१
झपकी
दिन भर के काम की थकावट
पिया से मिलन की छटपटाहट
जागने का मन करे ,नींद आये लपकी
झपकी
२
खर्राटे
अधूरी कामनाये ,दबी हुई बांते
जिन्हें दिन में हम ,बोल नहीं पाते
रात को सोने पर ,निकलती है बाहर
बन कर खर्राटे
३
उबासी
चूम चूम बार बार ,बंद किया मुंह द्वार
निकल ही नहीं पायी ,हवाएं बासी
उठते जब सोकर ,बेचैन होकर ,
निकलती बाहर है ,बन कर उबासी
४
अंगडाई
प्रीतम ने तन मन में ,आग सी लगाई
रात भर रही लिपटी ,बाहों में समायी
प्रेम रस लूटा ,अंग अंग टूटा ,
उठी जब सवेरे तो आयी अंगडाई
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
सुन्दर प्रस्तुति।
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