पते की बात
मील का पत्थर
जिंदगानी के सफ़र में,कितने ही पत्थर मिले,
बिना उनकी किये परवाह ,आगे हम बढ़ते गए
मील के पत्थर बने वो,रास्ते के चिन्ह है,
बाद में पहचान रस्ते की वो पत्थर बन गए
घोटू
जीना है जीवन भूल गए
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जीना है जीवन भूल गए जब संसार सँवारा हमने मन पर धूल गिरी थी आकर, जग पानी
पी-पी कर धोया मन का प्रक्षालन भूल गए !नाजुक है जो, जरा ठेस से आहत होता,
किरच चुभे ...
1 दिन पहले
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