पते की बात
गलतियां
गलतियाँ कर सुधारो ,मत करो इतनी गलतियाँ
पेंसिल से पहले ही तो ये रबर घिस जाए ना
घोटू
अब
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अब चीजें अब साफ़ हो गयीं अंधेरा छँटने लगा है पहचान रहा मन मंज़िल कोजो
भ्रमित करता रहा है पकड़ी है प्रकाश की डोरीजीवन जैसे एक किताब कोरी जिसमें
लिखा जाना ...
1 दिन पहले
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