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गुरुवार, 30 मई 2013

तुम्हे रात भर नींद न आती

    

        दिन में क्यों इतना सो जाती 
           तुम्हे रात भर नींद आती 
           बार बार करवट लेती हो,
           और जगा मुझको  देती हो  
         मै सारा  दिन मेहनत करता,
        आफिस  में हूँ ,खटपट करता 
        थका हुआ जब घर पर आता 
         खाना  खाता ,और सो जाता 
        तुम टी,वी,के सभी सीरियल 
        देखा करती ,देर रात तक 
         मै  गहरी निद्रा में सोता 
         लेकिन अक्सर ऐसा होता 
         मुझे नींद से उठा,जगा कर 
         तुम पूछा करती ,अलसाकर 
         अजी ,सो रहे हो क्या,जागो 
         क्या टाइम है,ये बतला दो 
          और मुझको लिपटा लेती हो 
          मेरी नींद उड़ा   देती  हो 
           कभी कभी ,दिन में ना सोती 
           तो भी मेरी मुश्किल होती 
           इतने भरती हो खर्राटे 
           कि हम मुश्किल से सो पाते 
           ये तुम्हारा खेल पुराना 
           जैसे भी हो ,मुझे जगाना 
           और सताती रहती ,जब तब 
           सीख कहाँ से आई ,ये सब 
            मुझ पर ढेरो प्यार लुटाती 
            जगा जगा कर हो तडफाती  
             दिन में क्यों इतना सो जाती 
             तुम्हे रात भर,नींद न आती 

      मदन मोहन बाहेती'घोटू' 
  

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