कहीं पर पढ़ी थी ,एक छोटी सी कहानी
एक थी फुल्लो रानी
गाँव की छह सात साल की अबोध बालिका
बचपन में ही हो गयी थी ,उसकी सगाई
और उसकी माँ ने थी उसको या बात समझाई
ससुरालवालों के सामने शर्म करते है
कभी वो सामने आ जाए तो मुंह ढकते है
एक दिन वो पहन कर के फ्रोक
खेल रही थी सहेलियों के साथ
तभी ससुरालवालों को सामने से आता देख ,
फुल्लो ने हड़बड़ी में क्या किया
अपनी फ्रोक ऊंची की,और मुंह ढक लिया
नन्ही मासूम को माँ की बात याद आयी
लेकिन वो ये समझ न पायी
मुंह तो ढक लिया पर नीचे से वो नगन है
आज की राजनीती का भी ये ही चलन है
जब कोइ किसी नेता पर,
भष्टाचार का इल्जाम लगाता है
तो फुल्लो की तरह ,फ्रोक से ,
अपना मुंह ढकने की कोशिश तो करता है ,
पर नीचे का नंगापन ,सबको दिख जाता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
धारदार व्यंग
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