मुझको जीवनसाथी के लिए ,
तलाश थी एक एसी लड़की की
जो दिखने में सुन्दर हो,
और हो पढीलिखी
मेरी माँ चाहती थी सजातीय हो ,
घर के कामकाज में निपुण हो
संस्कारी और सर्वगुण संपन्न हो
और पिताजी चाहते थे ,उसके माँ बाप ,
ढेर सा दहेज़ दे सकें,इतने संपन्न हो
दादी जी चाहती थी ,जन्मपत्री का सही मिलान
बत्तीस गुण मिल जाये
बहू हो ऐसी जो काम करे दिन भर और,
रात को उनके पैर भी दबाये
कभी कोई मुझे पसंद आती ,
तो वो मुझे कर देती रिजेक्ट
कभी कोई मुझे पसंद करती ,
तो मै कर देता उसे रिजेक्ट
कभी कोई लड़की मुझे और मै उसे ,
कर लेता पसंद
तो या तो मेरे मम्मी पापा को
पसंद नहीं आता ये सम्बन्ध
या उसके मम्मी पापा ,नहीं होते रजामंद
लगता है ऐसी सर्वगुण संपन्न लडकियां
भगवान् ने बनाना करदी बंद
फिर भी ,अगली दूकान पर शायद ,
सबकी पसंद का सामान मिल जाए
यही आस मन में समेटा हुआ हूँ
और अभी तक मै क्वांरा बैठा हुआ हूँ
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।