एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 25 मई 2013

आमो का मज़ा

       
                  १ 
हम उनके चूसे आम को ,फिर से है चूसते ,
देखो हमारे  इश्क की ,कैसी है इन्तहा 
आता है स्वाद आम का पर संग में हमें ,
उनके लबों के स्वाद का भी मिलता है मज़ा 
                  २ 
उनके गुलाबी रसभरे ,होठों से था लगा ,
कितने नसीबोंवाला था,'घोटू'वो  आम था 
उनने जो छोड़ा ,हमने था ,छिलका उठा लिया ,
उनके लबों का उसपे लिपस्टिक निशान था 
                   ३ 
था खुशनसीब आम वो ,उनने ले हाथ में,
होठों से अपने लगा के रस उसका पी लिया
गुठली भी चूसी प्रेम से ,ले ले के जब मज़े  ,
इठला के बड़े गर्व से ,गुठली ने ये कहा 
दिखने  में तो लगती हूँ बड़ी सख्त जान मै ,
मुझको दिया मिठास  है अल्लाह का शुक्रिया 
उनने लगा के होठों से रस मेरा ले  लिया  ,
 मैंने भी  उनके रस भरे ,होठों का रस पिया 
                       ४ 
वो चूसते थे आम ,हमने छीन ले लिया ,
उसकी मिठास ,स्वाद हमें आज भी है याद 
हमने जो चूसा आया हमको स्वाद दोगुना ,
थी आम की भी लज्जत ,तेरे होंठ का भी स्वाद 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-