वक़्त वक़्त की बात
एक जवां मच्छर ने,कहा एक बूढ़े से,
आपके जमाने में ,बड़ी सेफ लाइफ थी
ना 'हिट 'ना' डी .डी .टी .'न ही 'आल आउट 'था,
और ना धुवां देती ,कछुवे की कोइल थी
एक आह ठंडी भर,बोला बूढा मच्छर,
वो तो सब ठीक मगर ,मौज तुम उड़ाते हो
आज के जमाने में ,है इतना खुल्लापन ,
जहाँ चाहो मस्ती से ,चुम्बन ले पाते हो
हमारे जमाने में,एक बड़ी मुश्किल थी,
औरतों का सारा तन,रहता था ,ढका ,ढका
तरस तरस जाते थे ,मुश्किल से कभी,कहीं,
चूमने का मौका हम,पाते थे यदा कदा
समुन्दर के तट पर या फिर स्विमिंग पूलों पर ,
खतरा भी कम है और रौनक भी ज्यादा है
तुम तो हो खुश किस्मत ,इस युग में जन्मे हो ,
तुम्हे मौज मस्ती के,मौके भी ज्यादा है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
चलता रहा
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कदम गिने बगैर राह पर चलता रहा।बेहिसाब वक्त से सवाल करता रहा।लोग कोशिश करते
रहे बैसाखी बनने की।सहारा जब भी लिया, मैं गिरता रहा।माना कि बेहोश था, होश
में आने...
4 घंटे पहले
Positive approach ..!
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