संक्रांति पर
आया सूर्य मकर में ,आये नहीं तुम मगर
पर्व उत्तरायण का आया ,पर दिया न उत्तर
तिल तिल कर दिल जला,खिचड़ी बाल हो गये
और गज़क जैसे हम खस्ता हाल हो गये
अगन लोहड़ी की है तपा रही ,इस तन को
अब आ जाओ ,तड़फ रहा मन,मधुर मिलन को
मकर संक्रांति की शुभ कामनाये
घोटू
2025 में विभिन्न लग्न और राशियों के लिए विवाह का योग
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2025 में विभिन्न लग्न और राशियों के लिए विवाह का योग vivah shubh muhurat
2025
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10 घंटे पहले
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