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शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

कर तो लो आराम


रंजिश में ही बीत गई है तेरी तो हर शाम,
छुट्टी लेकर बैर भाव से, कर तो लो आराम |

आपा-धापी, भागम-भाग में,
ठोकर खाकर, गिर संभलकर,
कभी किसी की टांग खींचकर,
कभी गंदगी में भी चलकर |

यहाँ से वहाँ दौड़ के करते, उल्टे सीधे काम,
छुट्टी लेकर भाग-दौड़ से, कर तो लो आराम |

कभी किसी की की खुशामद,
कभी कहीं अकड़ कर बोले,
कभी कहीं पे की होशियारी,
कहीं-कहीं पे बन गए भोले |

बक-बक में ही गुजर गया, जीवन हुआ हराम,
छुट्टी लेकर शोर-गुल से, कर तो लो आराम |

वक्त बेवक्त अपनों की सोची,
सबके लिए बस लगे ही रहे,
झूठ-सच की करी कमाई,
पर पथ में तुम जमे ही रहे |

       अपनों के लिए पीते ही रहे, स्वाद स्वाद के जाम,
       कुछ वक्त खुद को भी देकर, कर तो लो आराम |

3 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया प्रस्तुति |
    आभार प्रदीप जी -

    गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें-

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  2. sundar Abhivyakti...Badhai
    http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/01/blog-post_26.html

    जवाब देंहटाएं
  3. badhiya👌👌

    https://abhigajare007.blogspot.com/2018/08/blog-post_19.html?m=0

    जवाब देंहटाएं

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