जिव्हा और दांत -मिया और बीबी वाली बात
जिव्हा और दांत
दोनों रहते है साथ साथ
एक सख्त है ,एक मुलायम है
मगर दोनों सच्चे हमदम है
इनका रिश्ता है ऐसे
मियां और बीबी हो जैसे
जिव्हा ,पत्नी सी ,कोमल और नाजुक
दांत,पति से ,स्ट्रोंग और मजबूत
दांत चबाते है ,जिव्हा स्वाद पाती है
पति कमाता है,बीबी मज़ा उठाती है
जिव्हा,चंचल चपल और चुलबुली है
बातें बनाती रहती,जब तक खुली है
दांत, स्थिर ,थमे हुए और सख्तजान है
चुपचाप ,बिना शिकायत के ,करते काम है
बस जब थक जाते है तो किटकिटाते है
और जीभ जब ज्यादा किट किट करती है,
उसे काट खाते है
जैसे कभी कभी अपनी पत्नी पर ,
पति अंकुश लगाता है
मगर फिर भी ,दांतीं की तरह,
उसे अपने आगोश में छुपाता है
दांतों के बीच में जब भी कुछ है फंस जाता
जिव्हा को झट से ही इसका पता चल जाता
और वह इस फंसे हुए कचरे को निकालने ,
सबसे पहले पहुँच जाती है
और जब तक कचरा निकल नहीं जाता ,
कोशिश किये जाती है
जैसे पति की हर पीड़ा ,पत्नी समझती है
और उसकी हर मुश्किल में ,
आगे बढ़ कर मदद करती है
पति पत्नी जैसे ही इनके हालत होते है
दिन भर अपना अपना काम करते है ,
पर रात को चुपचाप ,साथ साथ सोते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
प्रेम
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प्रेम याद हवा की तरह आती है और छू कर चली जाती है किसी झील की शांत सतह
पर उड़ते हुए पंछी के पंखों में क्योंकि अंततः सब एक है प्रेम बरसता है छंद
बनकर किसी कव...
1 दिन पहले
achchi tulna ki hai......
जवाब देंहटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंदसन रसन मुखन भित रहें दोउ एक हीं ठोर ।
जवाब देंहटाएंबन दुऔ साँचे मित एक कोमलित एक कठोर ।।
धर दोउ सुदृड़ संबंध अस जस दंपति जुगल ।
जवाब देंहटाएंदंत बर दृढ़मूल बंध बधु रस मृदुल बल्कल ।।
जिभ अंचल चंचल चपल देख डगरिया खोल ।
दंत कहे थिर धरातल धीरे धीरे बोल ।।
उम्दा रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
और तो सब ठीक है 'घोटू जी',पर पत्नी सिर्फ़ मज़ा उठाती है- यह बात फिर से सोच कर देखिये!
जवाब देंहटाएंsundar Rachna...
जवाब देंहटाएंhttp://ehsaasmere.blogspot.in/
बहुत ख़ूब वाह!
जवाब देंहटाएंआप सभी को कविता अच्छी लगी -बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंमैंने तो जो महसूस किय और देखा ,वो लिखा, पर जब
होठों के पट बंद हो जाते है तो या दोनों क्या क्या शरारत
करते होंगे ,लिख नहीं पाया
घोटू