स्वाभिमान
किया प्रयास ,दिखूं अच्छा ,पर दिख न सका मै
ना चाहा था बिकना मैंने, बिक न सका मै
मेरे आगे था मेरा स्वाभिमान आ गया
मै जैसा भी हूँ,अच्छा हूँ, ज्ञान आ गया
नहीं चाहता था,विनम्र बन,हाथ जोड़ कर
अपने चेहरे पर नकली मुस्कान ओढ़ कर
करू प्रभावित उनको और मै उन्हें रिझाऊ
उनसे रिश्ता जोडूं ,अपना काम बनाऊ
पर मै जैसा हूँ,वैसा यदि उन्हें सुहाए
मेरे असली रूप रंग में ,यदि अपनाएँ
तो ही ठीक रहेगा ,धोका क्यों दूं उनको
करें शिकायत ,ऐसा मौका क्यों दूं उनको
पर्दा उठ ही जाता,शीध्र बनावट पन का
मिलन हमेशा ,सच्चा होता,मन से मन का
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
ज़िंदगी अधूरी तेरे बिन - भाग चार (04)
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ज़िंदगी अधूरी तेरे बिन - भाग चार (04)अंशुमनमैं घर पहुंचा तो घर में अंधेरा
था। मैंने सोचा कि प्रियंका सो रही होगी। लेकिन वह तो हमेशा मेरे लिए कुछ
लाइटें जलाक...
10 घंटे पहले
swa ko jeeti ek masoom chaht...sundar rachna..
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