असर -मौसम का
आजकल का मौसम ,
ही इतना जालिम है ,
अच्छे भले लोगों की ,कमर तक टूट गयी
तुलसी जी को देखो ,
दो महीने पहले ही,
था इनका ब्याह हुआ,और बिलकुल सूख गयी
घोटू
1440
-
*1-दूर –कहीं दूर/ शशि पाधा*
*अँधेरे में टटोलती हूँ*
*बाट जोहती आँखें*
*मुट्ठी में दबाए*
*शगुन के रुपये*
*सिर पर धरे हाथों का*
*कोमल अहसास*
*सुबह ...
2 घंटे पहले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।