सभी को है आता-बुढ़ापा ,बुढ़ापा
सभी को है आता ,सितम सब पे ढाता
देता है तकलीफ ,सबको सताता
हंसाता तो कम है,अधिकतर रुलाता
बड़े ही बुरे दिन ,सभी को दिखाता
परेशानियों में है होता इजाफा
बुढ़ापा ,बुढ़ापा,बुढ़ापा,बुढ़ापा
कभी दांत हिलते है खाने में दिक्कत
चबा कुछ न पाओ ,रहो टूंगते बस
अगर खा भी लो जो कुछ ,तो पचता नहीं है
मज़ा जिंदगानी का बचता नहीं है
ये दुःख इतने देता है,क्यों ये विधाता
बुढ़ापा,बुढ़ापा ,बुढ़ापा,बुढ़ापा
चलने में,फिरने में आती है दिक्कत
जरा सा भी चल लो ,तो आती थकावट
हरेक दूसरे दिन ,बिगडती तबियत
उम्र जैसे बढती है,बढती मुसीबत
नहीं चैन मिलता है हमको जरा सा
बुढ़ापा,बुढ़ापा,बुढ़ापा,बुढ़ापा
न चेहरे पे रौनक ,न ताकत बदन में
तमन्नाएँ दब जाती,सब मन की मन में
बुढ़ापे ने ऐसा जुलम कर दिया है
गयी सब लुनाई ,पड़ी झुर्रियां है
मुरझा गया फूल ,जो था खिला सा
बुढ़ापा,बुढ़ापा बुढ़ापा बुढ़ापा
हुई धुंधली आँखें ,नज़र कम है आता
है हाथों में कम्पन,लिखा भी न जाता
करो बंद आँखें तो यादें ,सताती
नहीं ढंग से नींद भी तो है आती
सपनो में यादों का खुलता लिफाफा
बुढ़ापा ,बुढ़ापा,बुढ़ापा,बुढ़ापा
न तो पूछे बच्चे,न पोती न पोते
उमर कट रही है यूं ही रोते रोते
नहीं वक़्त कटता है,काटें तो कैसे
दुःख दर्द अपना ,हम बांटें तो कैसे
अपनों का बेगानापन है रुलाता
बुढ़ापा,बुढ़ापा,बुढ़ापा,बुढ़ापा
उपेक्षित,अवांछित,अकेले अकेले
बुढ़ापे की तकलीफ,हर कोई झेले
कोई प्यार से बोले,दिल है तरसता
धुंधलाती आँखों से ,सावन बरसता
नहीं देता कोई है आकर दिलासा
बुढ़ापा,बुढ़ापा,बुढ़ापा,बुढ़ापा
उमर जब भी बढती ,ये होता अधिकतर
होती है हालत ,बुरी और बदतर
नहीं बाल बचते है ,उड़ जाते अक्सर
या फिर सफेदी सी छा जाती सर पर
हसीनाएं कहती है ,दादा या बाबा
बुढ़ापा ,बुढ़ापा,बुढ़ापा,बुढ़ापा
मदनं मोहन बाहेती'घोटू'
उत्तर प्रदेश-रामपुर- SIR फॉर्म गलत भरने पर पहली FIR-नूरजहां आमिर और दानिश
पर -
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*स्रोत -जागरण न्यूज 6 दिसंबर 2025*
6 दिसंबर 2025 की जागरण न्यूज के अनुसार रामपुर जिले में एसआईआर फॉर्म में
तथ्यों को छुपाकर गलत जानकारी भरने का एक मामला...
1 दिन पहले
You have written a very nice beautiful presentation.'s Pretty creative. Many congratulations to you
जवाब देंहटाएंdhanywad madan mohan ji
जवाब देंहटाएंfaydon ko sochen......khushi milegi.
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