ये दूरियां
मै बिस्तर के इस कोने में ,
तुम सोई उस कोने में
कैसे हमको नींद आएगी ,
दूर दूर यूं सोने में
ना तो कुछ श्रृंगार किया है ,
ना ही तन पर आभूषण
ना ही स्वर्ण खचित कपडे है ,
ना ही है हीरक कंगन
सीधे सादे शयन वसन में ,
रूप तुम्हारा अलसाया
कभी चूड़ियाँ,कभी पायलें,
बस खनका करती खन खन
तेरी साँसों की सरगम में,
जीवन का संगीत भरा,
तेरे तन की गंध बहुत है ,
मेरे पागल होने में
मै बिस्तर के इस कोने में,
तुम सोई उस कोने में
तुम उस करवट,मै इस करवट,
दूर दूर हम सोये है
देखें कौन पहल करता है ,
इस विचार में खोये है
दोनों का मन आकुल,व्याकुल,
गुजर न जाए रात यूं ही ,
टूट न जाए ,मधुर मिलन के,
सपने ह्रदय संजोये है
हठधर्मी को छोड़ें,आओ,
एक करवट तुम,एक मै लूं,
मज़ा आएगा,एक दूजे की ,
बाहुपाश बंध ,सोने में
मै बिस्तर के इस कोने में,
तुम सोयी उस कोने में
कैसे हमको नींद आएगी ,
दूर दूर यूं सोने में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
MGIMT और शेखर ग्रुप ऑफ कॉलेजेस ने मनाया 17वाँ स्थापना दिवस
-
लखनऊ। कानपुर रोड बन्थरा स्थित MGIMT और शेखर ग्रुप ऑफ कॉलेजेस के संयुक्त
तत्वावधान में चार दिवसीय वार्षिकोत्सव एवं 17 वां स्थापना दिवस समारोह
‘ऊर्जा’ एवं ‘आ...
1 घंटे पहले

