रोबोट बन कर रह गये
चाहते थे मंगायें जापान से रोबोट हम,
शादी करली और खुद रोबोट बन कर रह गये
हम तो थे बाईस केरट, जब से पर हीरा जड़ा,
चौदह केरट हुए ,बाकी खोट बन कर रह गये
कभी किशमिश की तरह थे,मधुर ,मीठे, मुलायम,
एसा बदला वक़्त ने, अखरोट बन कर रह गये
बुदबुदा सकते हैं लेकिन बोल कुछ सकते नहीं,
किटकिटाते दांतों के संग, होंठ बन कर रह गये
गाँधी जी का चित्र है पर आचरण विपरीत है,
रिश्वतों में देने वाले ,नोट बन कर रह गये
आठ दस भ्रष्टों में से ही नेता चुनना है तुम्हे,
लोकतंत्री व्यवस्था के, वोट बन कर रह गये
कभी टेढ़े,कभी सीधे,कभी चलते ढाई घर,
बिछी शतरंजी बिसातें, गोट बन कर रह गये
चाहते थे बनना हम क्या, और 'घोटू' क्या बने,
टीस देती हमेशा वो चोंट बन कर रह गये
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
पतंजलि कैवल्य पाद सूत्र 15,16,17 का सार
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पतंजलि कैवल्य पाद सूत्र : 15 , 16 ,17
महर्षि पतंजलि अपनें कैवल्य पाद सूत्र - 15 में कह रहे हैं ,
“ एक वस्तु चित्त भेद के कारण अलग - अलग दिखती है ” । अब ...
6 घंटे पहले
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