चार दिन की चांदनी
कौन कहता है कि होती चांदनी है चार दिन,
और उसके बाद फिर होती अँधेरी रात है
आसमां की तरफ को सर उठा ,देखो तो सही,
अमावास को छोड़ कर ,हर रात आता चाँद है
सर्दियों के बाद में चलती है बासंती हवा,
और तपती गर्मियों के बाद में बरसात है
वो ही दिख पाता है तुमको,जैसा होता नजरिया,
सोच जो आशा भरा है, तो सफलता साथ है
देख कर हालात को ,झुकना, बदलना गलत है,
आदमी वो है कि जो खुद ,बदलता हालात है
सच्चे मन से चाह है,कोशिश करो,मिल जाएगा,
उस के दर पर ,पूरी होती ,सभी की फ़रियाद है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
ढाई आखर सभी पढ़ रहे
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ढाई आखर सभी पढ़ रहे प्रेम अमी की एक बूँद हीजीवन को रसमय कर देती, दृष्टि एक
आत्मीयता की अंतस को सुख से भर देती ! प्रेम जीतता आया तबसे जगती नजर नहीं आती
थी, ...
6 घंटे पहले
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