खंडहर बोलते हैं
जब भी मै कोई पुरानी इमारत के ,
खंडहर देखता हूँ,
मेरी कल्पनायें,पर लग कर उड़ने लगती है,
और पहुँच जाती है उस कालखंड में,
जब वो इमारत बुलंद हुआ करती थी
जब वहां जीवन का संगीत गूंजता था
क्योंकि खंडहर काफी कुछ बोलते है
बस आपको उनकी भाषा की समझ होनी चाहिए
और कल्पना शक्ति होनी चाहिये ये देखने की,
कि आज जहाँ घिसी और उखड़ी हुई फर्श है,
कभी वहां,गुदगुदे कालीन पर,
किसी के मेंहदी से रचे कोमल पांवों की,
पायल की छनछन सुनाई देती थी
और आज की इन बदरंग दीवारों ने,
जीवन के कितने रंग देखे होंगें
अगर आपकी कल्पनाशक्ति तेज़ है,
और नज़रें पारखी है,
तो आप इतना कुछ देख सकते हो,
जो किसी ने नहीं देखा होगा
आप जब भी किसी बूढी महिला को देखें ,
तो कल्पना करें,
कि जवानी के दिनों में,
उनका स्वरूप कैसा रहा होगा
झुर्री वाले गालों में कितनी लुनाई होगी
ढले हुए तन पर ,कितना कसाव होगा
आज जो वो इतनी गिरी हुई हालत में है,
जवानी में उनने कितनी बिजलियाँ गिराई होगी
और जब आप उनकी जवानी कि तस्वीरों को,
अपने ख्यालों में उभरता हुआ साकार देखेंगे,
सच आपको बड़ा मज़ा आएगा
ये शगल इतना मनभावन होगा,
कि आसानी से वक़्त गुजर जाएगा
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
साइबर ठगों का नया हथियार आपके बच्चे
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आज आदमी डिजिटल हो चला है, जहाँ देखिये आदमी के हाथ में मोबाइल चलता ही रहता
हैँ. अब तो ये लगने लगा है कि अगर ये स्मार्ट फोन हाथ में नहीं है तो न ही
हमारी...
22 घंटे पहले
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