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सोमवार, 16 जुलाई 2012

चार चतुष्पदी

      चार चतुष्पदी
              १
बाजुओं में आपके होना बहुत दम चाहिये
जिंदगानी के सफ़र में सच्चा हमदम चाहिये
अरे'मै'मै'मत करो,'मै 'से झलकता अहम् है,
साथ सबका चाहिये तो 'मै'नहीं'हम 'चाहिये
                २
किटकिटाते दांतों को,होंठ छुपा देते है
चेहरे की रौनक में,चाँद  लगा देते है
होंठ मुस्कराते तो फूल बिखरने लगते,
होंठ मिले,चुम्बन का स्वाद बढ़ा देते है
               ३
दूध में खटास डालो,दूध  फट जाता है
रिश्तों में खटास हो तो घर टूट जाता है
जीवन तो पानी का ,एक बुलबुला भर है,
हवा है तो जिन्दा है,वर्ना फूट जाता है
                ४
मुझे,आपको और सभी को ये  पता है
अँधा भी रेवड़ी,अपनों को ही बांटता है
सजे  से शोरूम से जो तुम उतारो सड़क पर,
पैरो तले कुचलने से,जूता भी काटता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'


1 टिप्पणी:

  1. भाव -प्रधान सारगर्भित रचन बड़े काम की है |बहुत कम कवी इस युग में सच बयानी करते हैं | साधुवाद !!

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