इतना ही काफी है
बच्चे ,अब बढे हो गये है
अपने पैरों पर खड़े हो गये है
ख़ुशी है ,कुछ बन गये है
गर्व से पर तन गये है
कभी कभी जब मिलते
लोकलाज या दिल से
चरण छुवा करते है
कमर झुका लेते है
ये भी क्या कुछ कम है
खुश हो जाते हम है
नम्रता कुछ बाकी है
इतना ही काफी है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
अंतहीन सजगता
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अंतहीन सजगता अपने में टिक रहना है योग योग में बने रहना समाधि सध जाये तो
मुक्ति मुक्ति ही ख़ुद से मिलना है हृदय कमल का खिलना है क्योंकि ख़ुद से
मिलकर उसे...
8 घंटे पहले
सटीक पंक्तियाँ - इतना ही काफी है समझाने को, मन को.
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