बुढ़ापे में
बताएं आपको क्या बात है बुढ़ापे में
बिगड़ जाते बहुत हालात है बुढ़ापे में
नींद आती ही नहीं,आई,उचट जाती है
पुरानी बातें कई दिल में उभर आती है
बड़ी रुक रुक के ,बड़ी देर तलक आती है,
पुरानी यादें और पेशाब है बुढ़ापे में
मिनिट मिनिट में सारी ताज़ी बात भूलें है
जरा भी चल लो तो जल्दी से सांस फूले है
कभी घुटनों में दरद ,कभी कमर दुखती है,
होती हालत बड़ी खराब है बुढ़ापे में
खाने पीने के हम शौक़ीन तबियत वाले
जी तो करता है बहुत,खा लें ये या वो खालें
बहुत पाबंदियां है डाक्टर की खाने पर,
पेट भी देता नहीं साथ है बुढ़ापे में
दिल तो ये दिल है यूं ही मचल मचल जाता है
आशिकाना मिजाज़,छूट कहाँ पाता है
मन तो करता है बहुत कूदने उछलने को,
हो नहीं पाते ये उत्पात हैं बुढ़ापे में
देखिये टी वी या फिर चाटिये अखबार सभी
भूले भटके से बच्चे पूछतें है हाल कभी
कभी देखे थे जवानी में ले के बच्चों को,
टूट जाते सभी वो ख्वाब है बुढ़ापे में
बताएं आपको क्या बात है बुढ़ापे में
बिगड़ जाते बहुत हालात है बुढ़ापे में
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
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*1-दूर –कहीं दूर/ शशि पाधा*
*अँधेरे में टटोलती हूँ*
*बाट जोहती आँखें*
*मुट्ठी में दबाए*
*शगुन के रुपये*
*सिर पर धरे हाथों का*
*कोमल अहसास*
*सुबह ...
14 घंटे पहले
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