गड्डों से बचो
घर से जब निकलो
संभल कर चलो
सोच समझ कर के,
बाहर पग धरो
हो सकता है,तुम्हारे पडोसी ने,
अपने फायदे के लिए,
या तुम्हे फ़साने
गड्डे खोद रखें हो,
जिनमे तुम या तुम्हारे बच्चे,
गिर सकते है,जाने,अनजाने
और प्रिंस या माही की तरह,
बन सकते है सिर्फ अफ़साने
याद रहे,गड्डे खोदना कठिन है,
पर उनमे गिरना बड़ा आसान है
और उनमे से निकलने में,
बड़ी मुश्किल में फंस जाती जान है
क्योंकि एक गड्डे से निकलने के लिए,
पास में दूसरे गड्डे भी खोदने पड़ते है
और आपस में जोड़ने पड़ते है
और इस कार्यवाही में,
इतना समय लग जाता है
कि गड्डे में गिरे आदमीका,
दम ही निकल जाता है
आज खेतों में खुले बोरवेल है
सड़कों पर खुले मेनहोल है
नफरत के गड्डे है
लालच के गड्डे है
नशीले पदार्थों के गड्डे है
बेईमानी और भ्रष्टाचार के गड्डे है
जरा सी भी असावधानी हुई,
हम इनमे गिर जाते है
मुश्किल से घिर जाते है
इसीलिए कहता हूँ,
घर से जब निकलो
संभल कर चलो
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
श्रम
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श्रम लगभग पचास मीटर लंबी मोटी हौज़ पाइप लिए डालता जाता है हर विला के बगीचे
में जल कहीं कहीं गमलों की क़तारें हैं कहीं घास के लॉन और छोटे-बड़े
पेड़ देता है ...
1 दिन पहले
वाह ... बहुत ही बढिया .सुंदर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंbahut ganda kuch samaj nahi aya
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