चार दिन की जिंदगी
जन्म ले रोते हैं पहले,बाद में मुस्काते हैं,
और फिर किलकारियों से,हम लुटाते प्यार हैं
फिर पढाई,लिखाई और खेलना मस्ती भरा,
ये किशोरावस्था भी,होती गज़ब की यार है
प्यार,जलवा,नाज़,अदाएं,मौज,मस्ती रात दिन,
ये जवानी,चार दिन का ,मद भरा त्योंहार है
और फिर लाचार करता है बुढ़ापा सभी को,
कुछ नहीं उपचार इसका,जिंदगी दिन चार है
मदन मोहन बहेती'घोटू'
टोल टैक्स और एडवोकेट-क़ानून
-
भारत में अधिवक्ताओं (वकीलों) को राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल टैक्स के भुगतान
से छूट नहीं है। राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम, 2008 में ऐसी कोई छूट का
प्र...
14 घंटे पहले
चार लाइन में चार दिन की जिंदगी का वर्णन अच्छा लगा :'मेरी नई रचना "स्मृति के पन्नों से " पर नजर डालें ,अपनी राय दें.
जवाब देंहटाएं