परेशानी की वजह
तुम परेशां,हम परेशां,हर कोई है परेशां,
परेशानी किस वजह है,कभी सोचा आपने
बात है ऐसी कोई जो खटकती मन में सदा,
याद करिये किया था क्या कोई लोचा आपने
बहुत सी चिंतायें जो रहती लगी घुन की तरह,
गलतियां तो खुद करी,औरों को कोसा आपने
या की फिर बढ़ने को आगे,जिंदगी की दौड़ में,
क्या कभी तोडा था ,कोई का भरोसा आपने
हमने उनसे पूछा ये,तो उनने हम से ये कहा,
जो भी ,जैसा चल रहा है,चलने दो,खामखाँ,
परेशानी की वजह को ढूँढने की फ़िक्र में,
एक परेशानी बढ़ा कर, करें खुद को परेशां
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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*1-ओ फूल बेचने वाली स्त्री!*
*अनिता मंडा*
*ओ फूल बेचने वाली स्त्री!*
* मुझे नहीं पता*
* कब से कर रही हो प्रतीक्षा*
* फूलों की टोकरी उठा...
50 मिनट पहले
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