एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

रविवार, 30 सितंबर 2012

नेता और शायर-कभी नहीं होते रिटायर

       नेता और शायर-कभी नहीं होते रिटायर

एक नेताजी,जो है अस्सी के उस पार

आज कल चल रहे है थोड़े बीमार
पर जब कोई उदघाटन करने बुलाये
या टी.वी.पर किसी मुद्दे पर चर्चा करवाए
हरदम रहते है तैयार
सुबह मंगवाते है ढेर सारे अखबार
और उन्हें खंगालते जाते है
अपने बारे में कोई खबर न छपने पर,
उदास हो जाते है
ये ही उनकी बीमारी की जड़ है सारी
और उन्हें नींद ना आने की हो गयी है बीमारी
उनका बेटा
जो उनकी मेहरबानी से,
मिनिस्टर है बना बैठा
क्योंकि राजनीती,आजकल बन गयी है,
पुश्तैनी ठेका
उसने डाक्टर  को बुलवाया
और अपने पिताजी को दिखलाया
डाक्टर ने काफी जांच पड़ताल  के बाद
उनके बेटे को बताया उनकी बिमारी का इलाज
कि आप किसी टी.वी.चेनल में हर रात
बुक करवालो,एक पांच मिनिट का स्लाट
और एक टी.वी.प्रोग्राम बनवाओ
जैसे'नेताजी के बोल-अनुभवों का घोल'
और उसे रोज रात प्रसारित करवाओ
और नेताजी को भी दिखलाओ
जब टी.वी. पर नेताजी को रोज अपनी ,
शकल नज़र आ जायेगी
उन्हें रात को अच्छी नींद आएगी
इनकी बिमारी का ये ही इलाज है
आजकल नेताजी को खूब नींद आती है,
डाक्टर का ये नुस्खा,रहा कामयाब है
कहते है नेता और शायर
कभी नहीं होते रिटायर
एक बुजुर्ग से शायर,जब कभी,
किसी मुशायरे में बुलाये जाते है
तो गरारे करते है,बाल रंगवाते है
पुरानी शेरवानी  पर ,प्रेस करवाते है
और फिर मुशायरे में अपनी ग़ज़ल सुनाते है
वाह वाह और इरशाद
का नशा,मुशायरे के बाद
आठ दस दिनों तक रहता है कायम
और इस बीच,दो तीन गज़लें,
ले लेती है जनम
ये सच शाश्वत है
जिसको पड़ जाती,तारीफ़ कि आदत है
बिना तारीफ़ से रह नहीं पाता है
और बुढ़ापे में बड़ा दुःख पाता है
नेताजी कि जुबान,तक़रीर के लिए तडफाती है
शायर को सपनो में भी,वाह वाह सुनाती है
 बूढीयाओं   को जवानी कि याद आती है
पुलिस वालों कि हथेली खुजलाती है
कुछ नहीं होने पर दिल टूटता है
ये नशा बड़ी मुश्किल से छूटता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

 
 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-