एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 22 सितंबर 2012

लब-प्यार से लबालब

     लब-प्यार से लबालब

चाँद जैसे सुहाने मुख पर सजे,

                          ये गुलाबी झिलमिलाते होंठ है
खिला करते हैं कमल के फूल से,
                         जब कभी ये खिलखिलाते होंठ है
ये मुलायम,मदभरे हैं,रस भरे,
                           लरजते हैं प्यार बरसाते कभी
दौड़ने लगती है साँसें तेजी से,
                           होंठ जब नजदीक आते है कभी
प्यार का पहला प्रदर्शन होंठ है,
                         रसीला मद भरा चुम्बन होंठ है
जब भी मिलते है किसी के होंठ से,
                         तोड़ देते सारे बंधन होंठ है
अधर पर धर कर अधर तो देखिये,
                         ये अधर तो प्यार का आधार है,
नहीं धीरज धर सकेंगे आप फिर,
                          बड़ी तीखी,मधुर इनकी धार  है
मिलन की बेताबियाँ बढ़ जायेगी,
                             तन बदन में आग सी लग जायेगी
सांस की सरगम निकल कर जिगर से,
                            सब से पहले लबों से टकरायगी
उमरभर पियो मगर खाली न हो,
                             जाम हैं ये वो छलकते,मद भरे
लब नहीं ये युगल फल है प्यार से,
                                लबालब, और लहलहाते,रस भरे
  मुस्कराते तो गिराते बिजलियाँ,
                         गोल हो सीटी बजाते होंठ  है
और खुश हो दूर तक जब फैलते,
                        तो ठहाके भी लगाते होंठ   है
सख्त से बत्तीस दांतों के लिए,
                        ये मुलायम दोनों ,पहरेदार हैं
हैं रसीले शहद जैसे ये कभी,
                        लब नहीं,ये प्यार का भण्डार है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'


2 टिप्‍पणियां:

  1. गहरी एहसास होटों तक आने में डरती है. पर आपने बड़ी खूबी से उनको बयां कर दिया .खुबसूरत.

    जवाब देंहटाएं

  2. सुन्दर प्रस्तुति, सुन्दर भावाभिव्यक्ति.

    जवाब देंहटाएं

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-