थकान-करे बेकाम
एक भाभीजी थी काफी उदास
उनकी शिकायत थी,कि जब उनके पति,
जब घर आते है,
दिन भर ऑफिस में काम करने के बाद
तो शाम को किसी भी काम के नहीं रह जाते है
न बाज़ार से सब्जी लाते है
न होटल में खिलाते है
बस थके हारे,खर्राटे भरते हुए सो जाते है
अब उन्हें ये कौन बताये,
वो ओफिस मे क्या क्या गुल खिलाते है
और शाम तक होती क्यों,ऐसी हालत है
क्योंकि उनकी सेक्रेटरी के पति को भो,
अपनी पत्नी से ,ये ही शिकायत है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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*1-दूर –कहीं दूर/ शशि पाधा*
*अँधेरे में टटोलती हूँ*
*बाट जोहती आँखें*
*मुट्ठी में दबाए*
*शगुन के रुपये*
*सिर पर धरे हाथों का*
*कोमल अहसास*
*सुबह ...
8 घंटे पहले
चुलबुली इमली खट्टा मीठा व्यंग्य विनोद .
जवाब देंहटाएंऐसे में भाई घोटू ,भाभी जी को ,सेक्रेटरी के हज्बेंड से मिलवादों.दोनों गंगा नहा जायेंगे .
जवाब देंहटाएंहा हा!! दफ्तर में ही संपूर्ण समर्पण!! :)
जवाब देंहटाएंअच्छा व्यंग है...
जवाब देंहटाएंdhanywaad
जवाब देंहटाएंsahi rachna .......
जवाब देंहटाएंबधाई सुन्दर प्रस्तुति ||
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