तेरे हाथों में
ये तेरा हाथ जिस दिन से,है आया मेरे हाथों में
जुलम मुझ पर ,शुरू से ही,है ढाया तेरे हाथों ने
तुम्हारे थे बड़े लम्बे,नुकीले ,तेज से नाख़ून,
दबाया हाथ तो नाखून,चुभाया तेरे हाथों ने
इशारों पर तुम्हारी उंगुलियों के ,रहा मै चलता,
बहुत ही नाच है मुझको, नचाया तेरे हाथों ने
हुई शादी तो अग्नि के,लगाए सात थे फेरे,
तभी से मुझको चक्कर में,फंसाया तेरे हाथों ने
कभी सहलाया है मुझको,नरम से तेरे हाथों ने,
निकाला अपना मतलब फिर,भगाया तेरे हाथों ने
शरारत हमने तुमने बहुत की है,मिल के हाथों से,
कभी सोते हुए मुझको जगाया तेरे हाथों ने
रह गया चाटता ही उंगुलियां मै अपने हाथों की,
पका जब प्रेम से खाना ,खिलाया तेरे हाथों ने
मै रोया जब,तो पोंछे थे,तेरे ही हाथ ने आंसू,
ख़ुशी में भी ,गले से था,लगाया तेरे हाथों ने
सफ़र जीवन का हँसते हंसते,कट गया यूं ही,
कि संग संग साथ जीवन भर,निभाया तेरे हाथों ने
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
शिक्षक पुरस्कारों के आवेदन के बोझ तले दबी शिक्षक गरिमा
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*शिक्षक पुरस्कारों के आवेदन के बोझ तले दबी शिक्षक गरिमा*
*खुद की प्रशंसा करने को मजबूर, वो क्या आदर्श बन पाएंगे,*
*खुद को ही साबित करने में जुटे, दूसरों को...
8 घंटे पहले
BAHUT KHUB,,,,,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!!! ..बधाई..
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