एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012

गुलाब गाथा

             गुलाब गाथा
कंटकों से भरी टहनी है ये दुनिया,
                 और जीवन फूल एक गुलाब का है
diरंग सुन्दर,बदन खुशबू से भरा है,
                 दिया तोहफा ,खुदा ने,नायाब सा है
डाल पर यदि रहोगे यूं ही अकड़ कर,
                पंखुडियां बन,बिखर जाओगे धरा पर
अगर जीवन को सफल है जो बनाना,
                 जियो जीवन तुम किसी के काम आकर
महक जायेगी तुम्हारी जिंदगानी,
                   किसी का महकाओ जीवन मुस्करा कर
कोई प्रेमी प्रेम से अभिभूत होगा ,
                    प्रेमिका के केश में  तुमको  सजा  कर
गए गुंथ जो यदि  किसी वरमाल में तुम,
                     बनोगे बंधन किसी के नेह का तुम    
 अगर बिखरोगे मिलन की सेज पर तुम,
                    पाओगे स्पर्श पागल देह का तुम
कभी अपने भाग्य पर इठलाओगे तुम,
                   बन सजावट किसी के गुलदान की तुम
या कि सज सकते हो गुलदस्ते में कोई,
                      दास्ताँ बन कर किसी पहचान कि तुम
नियति में यदि तुम्हारे जो ये लिखा है,
                      सुगंधी  कोई बदन रस चूंस   लेगा
कोई तुम को शर्करा मीठी खिला के,
                      धूप में रख कर बना    गुलकंद  देगा    
धन्य जीवन तुम्हारा हो जाएगा यदि,
                        देव चरणों  में हुआ  अर्पण तुम्हारा
है क्षणिक जीवन सभी का जिस तरह से,
                        जाएगा कुम्हला कभी भी तन तुम्हारा
कभी  केशव पर   चढोगे ,कभी शव पर,
                        कभी वैभव में  कभी श्रृगार  में तुम
जिंदगी के रंग सारे देख लोगे,
                           जीत जाओगे कभी गुंथ  हार में तुम

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

   

      

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-