एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

रविवार, 10 मई 2020

लगता नहीं है दिल  मेरा---

 लगता नहीं है दिल मेरा ,दिन भर मकान में
किसने है आके डाल दी ,आफत सी जान में
कह दो इस 'करोना' से ,कहीं दूर जा बसे ,
या लौट जाये फिर से वो ,वापस बुहान में
उमरे तमाम हुस्न की सोहबत में कट गयी ,
ना झांकता है कोई ,बंद दिल की दूकान में
'घोटू 'बजन है बढ़ रहा ,हफ्ते में दो किलो ,
इतना इज़ाफ़ा  हो गया, अब  खानपान  में

घोटू  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-