घाट-घाट पर घूम, आज घाटी को माँगें ||
टांगें टूटी गधे की , धोबी देता छोड़ |
बच्चे पत्थर मारके, देते माथा फोड़ |
देते माथा फोड़, रेंकता खा के चाटा |
मांगे जनमत आज, गधों हित धोबी-घाटा |
घाट-घाट पर घूम, मुआँ घाटी को माँगें |
चले चाल अब टेढ़ , तोड़ दे चारों टांगें ||
वाणी पुन्नू की प्रबल, अन्नू का उपवास |
चित्तू का डंडा सबल, दिग्गू का उपहास |
लोकपाल मुद्दा बड़ा, जनता तेरे साथ |
काश्मीर का मामला, जला रहा क्यूँ हाथ ?
कालेधन से है बड़ा, माता का सम्मान |
वैसी भाषा बोल मत, जैसी पाकिस्तान ||
झन्नाया था गाल जब, तू तेरा स्टाफ |
उस बन्दे को कूटते, हमें दिखे थे साफ़ ||
सड़को पर जब आ गया, सेना का सैलाब |
तेरे बन्दे पिट गए, कल से थे बेताब |
करना यह दावा नहीं, हो गांधी के भक्त |
बड़ी दलीलें तुम रखो, उधर है डंडा फ़क्त ||
वैसे दूजे पक्ष को, मत कर नजरन्दाज |
त्रस्त बड़ी सरकार थी, मस्त हो रही आज ||
पहले पीटा फिर पिटा, चले कैमरे ठीक |
होती शूटिंग सड़क पे, नियत लगे ना नीक ||
घूँस - युद्ध की नायकी, घाटी में यूँ डूब |
घूँसा जबड़े पर पड़ा, देत दलीलें खूब ||रही व्यक्तिगत सोच, चला कश्मीर छेंकने |
लगा रेकने जब कभी, गधा बेसुरा राग |
बहुतों ने बम-बम करी, बैसाखी में फाग |
बैसाखी में फाग, घास समझा सब खाया |
गलत सोच से खूब, सकल परिवार मुटाया |
रही व्यक्तिगत सोच, चला कश्मीर छेंकने |
ढेंचू - ढेंचू रोज, लगा बे-वक्त रेंकने ||
वाह ! बहुत ही अच्छी सामयिक रचना रविकर जी,बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंbahut badiyaa post ravikarji .sunder rachanaa .bahut badhai apko .
जवाब देंहटाएंRavikar Ji, Behtareen prastuti ... hasy ka put liye huye.
जवाब देंहटाएंMy Blog: Life is Just a Life
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behtareen...
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट को आज ब्लोगर्स मीट वीकली(१३)के मंच पर प्रस्तुत की गई है आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप हिंदी की सेवा इसी मेहनत और लगन से करते रहें यही कामना है /आपका
जवाब देंहटाएंब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर आपका स्वागत है /जरुर पधारें/आभार /