दीपक बाबा की प्रेरणा से -- बक बक
निर्बुद्धि की जिन्दगी, सुख-दुःख से अन्जान |
निर्बाधित जीवन जिए, डाले न व्यवधान ||
एकाकी जीवन जिए, नहीं बढ़ाये फौज ||
बुद्धिवादी परिश्रमी, पाले घर परिवार |
मूंछे ऐठें रुवाब से, बैठे पैर पसार ||
बुद्धिजीवी का बड़ा, रोचक है अन्दाज |
जिभ्या ही करती रहे, राज काज आवाज ||
बुद्धियोगी हृदय से, लेकर चले समाज |
I was more than happy to find this web-site.I wanted to thanks for your time for this excellent read!! I definitely enjoying every little bit of it and I’ve you follow this blog a look at new stuff you weblog post.
जवाब देंहटाएंजगजीत सिंह आधुनिक गजल गायन की अग्रणी है.एक ऐसा बेहतरीन कलाकार जिसने ग़ज़ल गायकी के सारे अंदाज़ बदल दिए ग़ज़ल को जन जन तक पहुचाया, ऐसा महान गायक आज हमारे बिच नहीं रहा,
उनके बारे में और अधिक पढ़ें : जगजीत सिंह
रविकर जी नमस्कार, बहुत बढिया लिखा है आपने बुध्दीजीवी रहे एकाकी नही बढाये फौज---
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है,बधाई !
जवाब देंहटाएं