हे अग्नि देवता!
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हे अग्नि देवता!
शारीर के पंचतत्वों में,
तुम विराजमान हो,
तुम्ही से जीवन है
तुम्हारी ही उर्जा से,
पकता और पचता भोजन है
तुम्हारा स्पर्श पाते ही,
रसासिक्त दीपक
ज्योतिर्मय हो जाते है,
दीपवाली छा जाती है
और,दूसरी ओर,
लकड़ी और उपलों का ढेर,
तुमको छूकर कर,
जल जाता है,
और होली मन जाती है
होली हो या दिवाली,
सब तुम्हारी ही पूजा करते है
पर तुम्हारी बुरी नज़र से डरते है
इसीलिए, मिलन की रात,
दीपक बुझा देते है
तुम्हारी एक चिंगारी ,
लकड़ी को कोयला,
और कोयले को राख बना देती है
पानी को भाप बना देती है
तुम्हारा सानिध्य,सूरत नहीं,
सीरत भी बदल देता है
तो फिर अचरज कैसा है
कि तुम्हारे आसपास,
लगाकर फेरे सात,
आदमी इतना बदल जाता है
कि माँ बाप को भूल जाता है
बस पत्नी के गुण गाता है
इस काया की नियति,
तुम्ही को अंतिम समर्पण है
हे अग्नि देवता! तुम्हे नमन है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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हे अग्नि देवता!
शारीर के पंचतत्वों में,
तुम विराजमान हो,
तुम्ही से जीवन है
तुम्हारी ही उर्जा से,
पकता और पचता भोजन है
तुम्हारा स्पर्श पाते ही,
रसासिक्त दीपक
ज्योतिर्मय हो जाते है,
दीपवाली छा जाती है
और,दूसरी ओर,
लकड़ी और उपलों का ढेर,
तुमको छूकर कर,
जल जाता है,
और होली मन जाती है
होली हो या दिवाली,
सब तुम्हारी ही पूजा करते है
पर तुम्हारी बुरी नज़र से डरते है
इसीलिए, मिलन की रात,
दीपक बुझा देते है
तुम्हारी एक चिंगारी ,
लकड़ी को कोयला,
और कोयले को राख बना देती है
पानी को भाप बना देती है
तुम्हारा सानिध्य,सूरत नहीं,
सीरत भी बदल देता है
तो फिर अचरज कैसा है
कि तुम्हारे आसपास,
लगाकर फेरे सात,
आदमी इतना बदल जाता है
कि माँ बाप को भूल जाता है
बस पत्नी के गुण गाता है
इस काया की नियति,
तुम्ही को अंतिम समर्पण है
हे अग्नि देवता! तुम्हे नमन है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
यह मेरी ५० वी टिप्पणी ||
जवाब देंहटाएंआभार जो यह अवसर मिला ||
sundar kavita... agni ke mahatmya ko batate huye kavita achhi lagi
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता |
जवाब देंहटाएंआजकल ब्लॉग से थोड़ा दूर रह रहा हूँ | सबसे क्षमा |
दीपक का ताप ही,
जवाब देंहटाएंसागर में बडवानल है.
दीपक का ताप ही,
काया में जठराग्नि है.
दीपक का
ताप ही धरा को
फोड़कर बाहर आता.
यही कभी सुप्त,
और कभी धधकता
ज्वालामुखी कहलाता.
प्यारे !
केवल दीपक का
यह लौ मत देखो,
लौ का रूप देखो,
बदलता स्वरुप देखो.
आज
रामलीला मैदान में,
राम के तीर और
रावण के सिर में
उसी की आग है.