कोहरा छाने लगा है
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चमकती उजली ऋतू का ,रूप धुंधलाने लगा है
कोहरा छाने लगा है
बीच अवनी और अम्बर ,आ गया है आवरण सा
गयी सूरज की प्रखरता,छा गया कुछ चांदपन सा
मौन भीगे,तरु खड़े है,व्याप्त मन में दुःख बहुत है
बहाते है,पात आंसू, रश्मियां उनसे विमुख है
कभी बहते थे उछालें मार कर, जब संग थे सब
हुए कण कण,नीर के कण,हवाओं में भटकते अब
कभी सहलाती बदन,वो हवाएं चुभने लगी है
स्निग्ध थी तन की लुनाई,खुरदुरी होने लगी है
पंछियों की चहचाहट ,हो गयी अब गुमशुदा है
बड़ी बदली सी फिजा है,रंग मौसम का जुदा है
लुप्त तारे,हुए सारे,चाँद शरमाने लगा है
कोहरा छाने लगा है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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चमकती उजली ऋतू का ,रूप धुंधलाने लगा है
कोहरा छाने लगा है
बीच अवनी और अम्बर ,आ गया है आवरण सा
गयी सूरज की प्रखरता,छा गया कुछ चांदपन सा
मौन भीगे,तरु खड़े है,व्याप्त मन में दुःख बहुत है
बहाते है,पात आंसू, रश्मियां उनसे विमुख है
कभी बहते थे उछालें मार कर, जब संग थे सब
हुए कण कण,नीर के कण,हवाओं में भटकते अब
कभी सहलाती बदन,वो हवाएं चुभने लगी है
स्निग्ध थी तन की लुनाई,खुरदुरी होने लगी है
पंछियों की चहचाहट ,हो गयी अब गुमशुदा है
बड़ी बदली सी फिजा है,रंग मौसम का जुदा है
लुप्त तारे,हुए सारे,चाँद शरमाने लगा है
कोहरा छाने लगा है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
सुन्दर सृजन , प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंसमय- समय पर मिले आपके स्नेह, शुभकामनाओं तथा समर्थन का आभारी हूँ.
प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.
दीपावली की शुभकामनाएं ||
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति की बहुत बहुत बधाई ||