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सोमवार, 20 जनवरी 2025

सुख दुख 

बहुत हसीं यह जीवन यदि सुख से जियो
दुख के विष को त्याग शान्ति अमृत पियो 
अपने दिल को जला दुखी क्यों करते हो रोज-रोज तुम यूं ही घुट घुट मरते हो

तुमको अपने मन के माफिक जीना है
 निज पसंद का रहना ,खाना ,पीना है  
वरना लोग नहीं सुख से जीने देंगे 
बार बार वो तुम्हे परेशाँ कर देंगे

बहुत मिलेगा सुनने को तुम्हें उलहाने में
कड़वी खट्टी गंदी बातें ताने में 
कसर न होगी खोटी खरी सुनाने में
सुख वह सदा पाएंगे तुम्हें सताने में 

उनकी बातों पर जो ध्यान अगर दोगे 
अपने मन का अमन चैन सब खो दोगे 
इसीलिए मत इन बातों पर रोष करो 
जैसे भी हो सुखी रहो, संतोष करो 

इन लोगों से सदा दूरियां रखो बना 
उनकी बातों को तुम कर दो बिना सुना 
कैसे रहना सुखी तुम्हारे हाथ में है 
कैसे रहना दुखी तुम्हारे हाथ में है 

तुम जैसा चाहो वैसे जी सकते हो
नीलकंठ बन सभी गरल पी सकते हो 
सदा दुखी रहने के कई बहाने हैं 
लेकिन पहले ये सब तुम्हें भुलाने हैं 

कैसे रहना सुखी सीख लो जीवन में 
बहुत शांति और सुख पाओगे तुम मन में 
नहीं किसी से बैर भाव या क्रोध करो 
प्रतिस्पर्धा से दूर रहो ,संतोष करो 

ना ऊधो से लेना ,देना माधव को 
बोलो मीठे बोल, प्रेम बांटो सबको 
बहुत सरल है दुख में परेशान होना 
फूटी किस्मत ,बार-बार रोना-धोना 

एक बार जब मुखड़ा मोड़ोगे दुख से
भर जाएगा पूरा ही जीवन सुख से 
सुख दुख तो जीवन में आते जाते हैं 
बहुत सुखी वो ,जो हरदम मुस्काते हैं

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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