ना तुझमें खराबी, ना मुझमें खराबी
मेरे घर का मौसम ,गुलाबी गुलाबी
हम पर खुदा की ,है इतनी इनायत
किसी को किसी से न शिकवा शिकायत
मिला जो भी कुछ है, संतुष्ट हम हैं
खुशी ही खुशी है ,नहीं कोई गम है
किसी से कोई भी अपेक्षा नहीं है
लिखा जो भी किस्मत में पाया वही है
नहीं मन के अंदर ,लालच जरा भी
मेरे घर का मौसम, गुलाबी गुलाबी
सीमित है साधन, पर करते गुजारा
भरा सादगी से , है जीवन हमारा
नहीं चाह कोई तो चिंता नहीं है
सभी को सभी कुछ तो मिलता नहीं है
मिलकर के रहते हैं, हम सीधे-सादे
कभी राम रटते ,कभी राधे राधे
सत्कर्म ही है ,सफलता की चाबी
मेरे घर का मौसम गुलाबी गुलाबी
मदन मोहन बाहेती घोटू
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