एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

सोमवार, 20 जनवरी 2025

मेरे घर का मौसम

ना तुझमें खराबी, ना मुझमें खराबी 
 मेरे घर का मौसम ,गुलाबी गुलाबी 

हम पर खुदा की ,है इतनी इनायत 
किसी को किसी से न शिकवा शिकायत 
मिला जो भी कुछ है, संतुष्ट हम हैं 
खुशी ही खुशी है ,नहीं कोई गम है 
किसी से कोई भी अपेक्षा नहीं है 
लिखा जो भी किस्मत में पाया वही है
 नहीं मन के अंदर ,लालच जरा भी 
मेरे घर का मौसम, गुलाबी गुलाबी 

सीमित है साधन, पर करते गुजारा 
भरा सादगी से , है जीवन हमारा 
नहीं चाह कोई तो चिंता नहीं है 
सभी को सभी कुछ तो मिलता नहीं है
मिलकर के रहते हैं, हम सीधे-सादे 
कभी राम रटते ,कभी राधे राधे 
सत्कर्म ही है ,सफलता की चाबी 
मेरे घर का मौसम गुलाबी गुलाबी

मदन मोहन बाहेती घोटू 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-