कंस-एक चितन
कल सुना आकाशवाणी पर
जानलेवा होता है डेंगू का मच्छर
इसके पहले कि वो आपको मारे,
आप उसे मार दें
उसे पनपने न दें,
कर उसका संहार दें
मैं घबराया
पूरे घर में ,कछुवा छाप अगरबत्ती
का धुवाँ फैलाया
फिर भी कोई चांस न लिया
घर के कोने कोने में ,
काला 'हिट' स्प्रे किया
घर से जब भी निकलता था
शरीर के खुले हिस्सों पर ,
'आडोमास' मलता था
ये एक शाश्वत सत्य है कि ,
मौत से सब डरते है
और अपनी मौत के संभावित कारणों का,
पहले अंत करते है
ऐसी ही एक भविष्यवाणी सुनी थी कंस ने
जब वो अपनी बहन देवकी को ,
शादी के बाद बिदा कर रहा था हर्ष में
आकाशवाणी थी कि देवकी का
आठवां पुत्र ,उसका काल होगा
अब आप ही सोचिये ,यह सुन कर ,
उसका क्या हुआ हाल होगा
अपनी मृत्यु के संभावित कारण का हनन
एक सहज मानव प्रवृत्ति है ,
इसमें कंस को क्यों दोष दे हम
वह चाहता तो अपनी बहन
और बहनोई को मार सकता था
ना रहेगा बांस,ना बजेगी बांसुरी
ऐसा विचार सकता था
पर शायद उसमे मानवता शेष थी ,
इसलिए उसने अपनी बहन और बहनोई को
कारावास दिया
और उनकी सन्तानो को ,
जन्म होते ही मार दिया
पर जब उसे मालूम हुआ ,
कि उसका संभावित काल,
आठवीं संतान बच गयी
तो उसके दिल में खलबली मच गयी
उसके मन में इतना डर समाया
कि उसने सभी नवजातों को मरवाया
और जब उसे कृष्ण का पता लगा ,
तो भयाकुल हो कर काँपा उसका कलेजा
और उसने कृष्ण को मारने ,
पूतना,वकासुर आदि कितने ही.
राक्षसों को भेजा
पर जब अपने प्रयासों में सफल न हो पाया
तो उसने कृष्ण को मथुरा बुलवाया
पर अंत में उसका अहंकार सारा गया
और वो कृष्ण के हाथों मारा गया
हम कंस के ,कृष्ण के मारने के ,
सारे राक्षसी प्रयासों की,
कितनी ही करें आलोचना
पर अपने मृत्यु के संभावित कारणों से
बचने का प्रयत्न ,करता है हर जना
पर यह भी एक शाश्वत सत्य है कि ,
किस्मत के आगे इंसान बौना है
चाहे आकाशवाणी हो या न हो,
जो जन्मा है ,उसका अंत होना है
नियति के आगे आदमी एक खिलौना है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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